पंडित दीनदयाल उपाध्याय Written by AMBUJ SIINGH www.studynovelty.com प्रारंभिक जीवन और शिक्षा दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितंबर 1916 को धनकिया नामक स्थान पर जयपुर अजमेर रेलवे लाइन के पास (राजस्थान) हुआ था। नागला चंद्रभान (मथुरा) दीनदयाल जी का पैतृक गांव था। इनके पिता भगवती प्रसाद उपाध्याय सहायक स्टेशन मास्टर थे और माता रामप्यारी एक धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थीं। बचपन में ही माता-पिता का देहांत हो जाने के कारण उनका पालन-पोषण नाना-नानी और चाचा ने किया। प्रारंभिक शिक्षा गंगा मध्य विद्यालय, सिकंदरा में हुई। बाद में उन्होंने पिलानी के बिरला कॉलेज से इंटरमीडिएट किया। इसके बाद कानपुर से स्नातक और आगरा विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ाव दीनदयाल उपाध्याय विद्यार्थी जीवन में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ गए। उनका व्यक्तित्व सरल, ईमानदार और सेवाभावी था, जिससे वे शीघ्र ही प्रचारक के रूप में संघ के प्रमुख कार्यकर्ताओं में गिने जाने लगे। वे जनसंघ और संघ के सिद्धांतों के प्रचार-प्रसार में सक्रिय रूप से योगदान देने...
मेजर ध्यानचंद : हॉकी के जादूगर By AMBUJ KUMAR SINGH www.studynovelty.com ना शोहरत का नशा, ना दौलत का अभिमान, खेल को ही समझा उन्होंने सबसे बड़ा सम्मान। स्टिक के जादूगर, मैदान के बादशाह, फिर भी सादगी से भरी था उनकी हर एक राह। ये चार पंक्तियां भारतीय खेल जगत के एक ऐसे खिलाड़ी की ओर संकेत करती हैं, जिसका नाम खेल इतिहास के स्वर्णिम अक्षरों में लिखा गया है। जी हां, हम बात कर रहे हैं मेजर ध्यानचंद की, जिन्हें पूरी दुनिया 'हॉकी का जादूगर' कहकर याद करती है। हॉकी की बॉल उनके स्टिक से इस प्रकार चलती थी, मानो वह स्टिक से चिपक गई हो। जर्मनी के तानाशाह हिटलर से लेकर विश्व के अनेक बड़े खिलाड़ी और नेता उनकी प्रतिभा के कायल थे। ध्यानचंद न केवल भारत के लिए तीन ओलंपिक स्वर्ण पदक लेकर आए, बल्कि उन्होंने खेल को भारतीय आत्मा और गौरव का प्रतीक बना दिया। प्रारंभिक जीवन और छात्र अवस्था ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में हुआ। उनके पिता समेश्वर सिंह स्वयं ब्रिटिश भारतीय सेना में सिपाही थे और हॉकी खेलते थे। पिता से ही ध्यानचंद को हॉकी का सं...