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Showing posts from September, 2025

भगत सिंह की जयंती/28 सितंबर

  शहीद-ए-आजम भगत सिंह की जयंती (28 सितंबर ) Written by AMBUJ SIINGH  www.studynovelty.com भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को हुआ था। उनके पिता का नाम किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती कौर था। उनके चाचा मशहूर क्रांतिकारी नेता अजीत सिंह थे। उनके बचपन का नाम भगत लाल था। नेशनल कॉलेज लाहौर से उनकी पढ़ाई हुई थी। उन्हें हिंदी, उर्दू, पंजाबी के अलावा अंग्रेजी और संस्कृत भाषा का भी अच्छा ज्ञान था। भगत सिंह अपने क्रांतिकारी चाचा अजीत सिंह से प्रेरित थे। 13 अप्रैल 1919 को हुए जलियांवाला बाग हत्याकांड का भी उनके बाल मन पर काफी गहरा असर पड़ा था। 4 फरवरी 1922 को हुई चौरीचौरा घटना के बाद जब गांधी जी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया, तो भारत में पुनः एक बार क्रांतिकारी गतिविधियों शुरू हो गईं और यहीं से शुरू हुआ भगत सिंह का क्रांतिकारी सफर। किंतु 1924 के दौरान भगत सिंह को अंग्रेजों के विरुद्ध क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लेता देख उनके परिवार ने इन पर विवाह करने के लिए परिवार का दबाव डालना शुरू कर दिया। ऐसे में भगत सिंह ने घर छोड़ दिया और कानपुर आ गए। उस समय कानपुर में गणेश शंकर विद्यार्थी का स...

25 सितंबर/पंडित दीनदयाल उपाध्याय जयंती/अंत्योदय दिवस

पंडित दीनदयाल उपाध्याय Written by AMBUJ SIINGH   www.studynovelty.com प्रारंभिक जीवन और शिक्षा दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितंबर 1916 को धनकिया नामक स्थान पर जयपुर अजमेर रेलवे लाइन के पास (राजस्थान) हुआ था। नागला चंद्रभान (मथुरा) दीनदयाल जी का पैतृक गांव था। इनके पिता भगवती प्रसाद उपाध्याय सहायक स्टेशन मास्टर थे और माता रामप्यारी एक धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थीं। बचपन में ही माता-पिता का देहांत हो जाने के कारण उनका पालन-पोषण नाना-नानी और चाचा ने किया। प्रारंभिक शिक्षा गंगा मध्य विद्यालय, सिकंदरा में हुई। बाद में उन्होंने पिलानी के बिरला कॉलेज से इंटरमीडिएट किया। इसके बाद कानपुर से स्नातक और आगरा विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ाव दीनदयाल उपाध्याय विद्यार्थी जीवन में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ गए। उनका व्यक्तित्व सरल, ईमानदार और सेवाभावी था, जिससे वे शीघ्र ही प्रचारक के रूप में संघ के प्रमुख कार्यकर्ताओं में गिने जाने लगे। वे जनसंघ और संघ के सिद्धांतों के प्रचार-प्रसार में सक्रिय रूप से योगदान देने...