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प्राचीन भारत - अति महत्वपूर्ण तथ्य - 28/07/2021

Study Novelty

By : Ambuj Kumar Singh



Ancient History - 28/07/2021


★ मोहनजोदड़ो के डी के एरिया से प्राप्त सेलखड़ी की पुजारी की मूर्ति को मंगोल प्रजाति तथा एच आर एरिया से प्राप्त कांसे की नृत्यरत नारी की मूर्ति को प्रोटोआस्ट्रेलायड प्रजाति का माना गया है।


★ अग्निदेव से अपनी उत्पत्ति मानने वाले राजपूत राजाओं के अतिरिक्त लगभग सभी पूर्व मध्यकालीन राजा अपनी वंशावली को मनु या मुन के पुत्र इच्छ्वाक या उसकी पुत्री इला से संबंधित करते हैं। इच्छ्वाक के उत्तराधिकारी सूर्यवंशी तथा इला के चंद्रवंशी रूप में प्रसिद्ध हुए।


★ हर्षवर्धन की मृत्यु के बाद अरुणाश्व (अर्जुन) नामक व्यक्ति ने कान्यकुब्ज (कन्नौज) पर अधिकार कर भारत आए चीनी सम्राट ताई सुआंग के दूत वांग सुआन त्से पर हमला किया था। बाद में इस दूत ने तिब्बत, नेपाल और असम की सेनाओं की मदद से उसे पराजित करके चीनी सम्राट के पास भेज दिया था।


★ राजाधिकार संबंधी प्राचीनतम आख्यान ऐतरेय ब्राह्मण में वर्णित है, जबकि राजसी दैविकता का सिद्धांत सर्वप्रथम मनुस्मृति एवं महाकाव्यों में दृष्टिगोचर होता है।


★ मालाबार के सीरा राज्य में 12वीं शताब्दी के लगभग एक मातृसत्तात्मक प्रथा प्रचलित हुई, जिसके अनुसार राजसिंहासन का उत्तराधिकारी राजा के पुत्र की जगह उसकी बड़ी बहन का पुत्र होता था। 'मरुमक्कट्टयाम' नामक यह प्रथा कोचीन तथा त्रावणकोर में राजसी तथा रियासती दोनों ही उत्तराधिकारियों में कुछ समय पूर्व तक प्रचलित रही।


★ मौर्यकाल में गुप्तचरों की एक विशेष श्रेणी (भ्रमणशील) 'सत्र' या 'सत्री' थी, जिसमें अनाथ बालकों को बाल्यावस्था से ही इस कार्य के लिए प्रशिक्षित किया जाता था, जो बहुधा साधु या ज्योतिषी के वेश में रहते थे। इनका वर्णन स्वयं कौटिल्य ने 'अर्थशास्त्र' में किया है।


★ कुछ पूर्व मध्यकालीन राज्यों में 'दुस्साध्यसाधनिक' नामक विशेष अधिकारियों को डाकुओं का पीछा करने और उनका पता लगाने के लिए नियुक्त किया जाता था।


★ राजा के राज्याभिषेक के अवसर पर राजा के साथ भोजन करने का गौरव प्राप्त विशेष अंगरक्षकों को मार्कोपोलो ने 'सम्मानास्पद सहयोगी' कहा है।


★ मनु ने चांडाल और निषाद के मध्य एक वर्णसंकर जाति 'अन्त्यावसिन' का भी उल्लेख किया है, जिनसे स्वयं चांडाल भी घृणा करते थे।


★ प्राचीन नीतिकारों के अनुसार सगोत्रीय स्त्री से विवाह करने वाले पुरुषों को 'चंद्रायण' पश्चाताप करना चाहिए, जिसके अनुसार एक माह के कठोर व्रत के पश्चात अपनी पत्नी को अपनी भगिनी के समान रखना चाहिए।

Comments

  1. रोचक जानकारी! सत्र नामक गुप्तचर श्रेणी किस राजवंश के काल में होती थी, इसे भी स्पष्ट करें। 👌👌👌👌

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