STUDY NOVELTY
By: Ambuj Kumar Singh
★ संविधान सभा के संवैधानिक सलाहकार बेनेगल नरसिंह राव ने वैयक्तिक अधिकारों की दो श्रेणियां बनाई थी - न्यायोचित एवं गैर-न्यायोचित। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता वाली प्रारूप समिति द्वारा इसे स्वीकृति मिलने के बाद न्यायोचित प्रकृति वाले अधिकारों को संविधान के भाग 3 में मूल अधिकारों के तहत स्थान दिया गया, जबकि गैर-न्यायोचित प्रकृति वाले अधिकारों को संविधान के भाग 4 के अंतर्गत नीति निदेशक तत्वों के तहत स्थान मिला।
★ अमेरिकी संविधान के प्रभाव में भारतीय संविधान में भी व्यक्तियों के संपूर्ण विकास हेतु राज्य के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान की गई है, जिन्हें मूल अधिकार नाम दिया गया है।
★ सर्वप्रथम 1215 में इंग्लैंड के सम्राट जॉन ने मूल अधिकारों से संबंधित प्रथम लिखित दस्तावेज जारी किया था। इसलिए इसे 'मूल अधिकारों का जन्मदाता' कहा जाता है।
★ 1689 के बिल ऑफ राइट्स तथा 1789 की फ्रांसीसी क्रांति में भी इसे स्थान दिया गया था। किंतु सर्वप्रथम अमेरिका में मूल अधिकारों को सांविधिक सुरक्षा प्रदान की गई।
★ भारतीय संविधान के भाग 3 (अनुच्छेद 12 से 35 तक) में 6 प्रकार के मूल अधिकारों (जिसे 'भारत के मैग्नाकार्टा' की संज्ञा दी गई है), का वर्णन है -
1. समता का अधिकार (अनु. 14-18)
2. स्वतंत्रता का अधिकार (अनु. 19-22)
3. शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनु. 23-24)
4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनु. 25-28)
5. संस्कृति एवं शिक्षा संबंधी अधिकार (अनु. 29-30)
6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनु. 32)
अनु. 12 - राज्य की परिभाषा।
राज्य की संस्था के रूप में काम करने वाली प्रत्येक सरकारी/निजी इकाई या एजेंसी राज्य है।
अनु. 13 - मूल अधिकारों से असंगत या उनका अल्पीकरण करने वाली विधियों का शून्य हो जाना।
अनु. 14 - विधि के समक्ष समता का अधिकार।
अनु. 15 - सामाजिक समता का अधिकार।
अनु. 16 - लोक नियोजन में समता का अधिकार।
अनु. 17 - अस्पृश्यता का अंत।
अनु. 18 - उपाधियों का अंत।
अनु. 19 - वाक्-स्वातंत्र्य आदि विषय कुछ अधिकारों का संरक्षण -
(1) सभी नागरिकों को :
(क) वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता।
(ख) शांतिपूर्वक एवं निरायुध सम्मेलन की स्वतंत्रता।
(ग) संगम, संघ या सहकारी समिति बनाने की स्वतंत्रता।
(घ) भारत में कहीं भी घूमने-फिरने की स्वतंत्रता।
(ङ) भारत में कहीं भी निवास की स्वतंत्रता।
(च) संपत्ति का अधिकार (44वें संविधान संशोधन, 1978 द्वारा निरसित) वर्तमान में अनुच्छेद 300(क) के तहत यह एक कानूनी अधिकार है।
(छ) आजीविका की स्वतंत्रता का अधिकार होगा।
अनु. 20 - अपराधों के लिए दोषसिद्धि संबंधी संरक्षण :
(1) अपराध के समय लागू कानून के उल्लंघन पर ही दोषी तथा उतने ही दंड का भागी होगा।
(2) एक अपराध के लिए एक बार दंड।
(3) स्वयं के विरुद्ध गवाही के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा।
अनु. 21 - प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण।
अनु. 21(क) - 14 वर्ष तक के बच्चों को प्राथमिक शिक्षा का अधिकार (86वाँ संविधान (संशोधन) अधिनियम 2002)।
अनु. 22(1) - गिरफ्तार व्यक्ति को उसका कारण बताया जाएगा तथा वकील से परामर्श एवं प्रतिरक्षा का अवसर दिया जाएगा।
(2) - गिरफ्तारी के 24 घंटे के अंदर निकटतम मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाएगा।
(3) - उपर्युक्त दोनों प्रावधान -
(क) शत्रु देश के नागरिक, तथा
(ख) निवारक निरोध कानून के तहत गिरफ्तार व्यक्ति पर लागू नहीं होंगे।
अनु. 23(1) - मानव के दुर्व्यवहार अथवा बेगार पर प्रतिबंध एवं इसका उल्लंघन करने पर दंड का प्रावधान।
(2) - राज्य को सार्वजनिक प्रयोजनों हेतु अनिवार्य सेवा अधिरोपित करने की छूट।
अनु. 24 - 14 वर्ष से कम आयु के बालकों के कारखानों, खानों या अन्य संकटमय स्थानों में नियोजन पर प्रतिबंध।
अनु. 25 - अंतःकरण की तथा धर्म के अबाध रूप से मानने, आचरण और प्रचार करने की स्वतंत्रता।
स्पष्टीकरण 1 - कृपाण धारण करना सिखों का अधिकार माना जाएगा।
स्पष्टीकरण 2 - हिंदुओं के प्रति निर्देश का अर्थ होगा सिख, जैन एवं बौद्ध धर्म के प्रति भी निर्देश।
अनु. 26 - धार्मिक कार्यों के प्रबंध की स्वतंत्रता।
अनु. 27 - विशिष्ट धर्म की अभिवृद्धि हेतु कर देने से स्वतंत्रता।
अनु. 28(1) - राजनीति से पोषित किसी शिक्षण संस्थान में धार्मिक शिक्षा नहीं दी जाएगी।
(2) - यह बात राज्य द्वारा प्रशासित उस शिक्षण संस्थान पर नहीं लागू होगी, जिसकी स्थापना ऐसे विन्यास या न्यास के तहत हुई है, जहां धार्मिक शिक्षा देना आवश्यक है।
(3) - राज्य से मान्यता अथवा सहायता प्राप्त शिक्षण संस्था में किसी व्यक्ति को धार्मिक उपासना में उपस्थित होने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा, जब तक वह उस व्यक्ति ने,या अल्पवयस्क होने पर उसके संरक्षक ने इसकी सहमति न देती हो।
अनु. 29(1) - नागरिकों को अपनी विशेष भाषा लिपि या संस्कृति बनाए रखने का अधिकार।
(2) - राज्य द्वारा पोषित शिक्षण संस्थान में प्रवेश से नागरिकों को धर्म, मूलवंश, जाति या भाषा के आधार पर वंचित किया जाएगा।
अनु. 30(1) - धर्म एवं भाषा पर आधारित अल्पसंख्यक वर्गों को अपनी रुचि की शिक्षण संस्थाओं की स्थापना एवं प्रशासन का अधिकार होगा।
(2) - अल्पसंख्यक वर्ग के प्रबंध में होने के आधार पर राज्य किसी संस्था को सहायता देने में विभेद नहीं करेगा।
अनु. 32 - इस भाग द्वारा प्रदत्त अधिकारों को प्रवर्तन कराने के लिए उपचार -
किसी कानून या कार्य द्वारा मूल अधिकारों के उल्लंघन की दशा में सर्वोच्च न्यायालय अनुच्छेद 32 के तहत तथा उच्च न्यायालय मूल अधिकारों सहित अन्य मामलों में भी अनुच्छेद 226 के तहत पांच प्रकार की रिट जारी कर सकता है -
1. बंदी प्रत्यक्षीकरण - बंदी बनाए गए व्यक्ति की प्रस्तुति, ताकि बंदी बनाए जाने के कारणों का परीक्षण किया जा सके।
2. परमादेश - लोक प्राधिकारियों को अपने वैध कर्तव्यों का पालन करने हेतु एक उच्च आदेश।
3. अधिकार पृच्छा - सार्वजनिक पद पर कार्य कर रहे लोक प्राधिकारी से न्यायालय द्वारा यह पूछना कि वह किस अधिकार से कार्य कर रहा है।
4. प्रतिषेध - अपनी अधिकारिता से बाहर जाकर कार्य कर रहे अधीनस्थ न्यायालयों को उनके आदेश देने से पूर्व ही जारी एक निषेधाज्ञा।
5. उत्प्रेषण - प्रतिषेध की तरह का एक न्यायिक रिट, जिसे अधीनस्थ न्यायालय के आदेश के बाद जारी किया जाता है।
विदेशियों को भी प्राप्त मूल अधिकार -
अनु. 14, 20, 21, 22, 23, 24, 25, 26, 27, 28 ।
राज्य द्वारा मूल अधिकारों को प्रतिबंधित या परिसीमित किया जाना -
1. इन पर युक्तियुक्त निर्बंधन लगाया जा सकता है।
2. राष्ट्रहित में भी इन्हें निलंबित किया जा सकता है।
3. सामाजिक उद्देश्यों हेतु तथा महिलाओं, बच्चों एवं पिछड़ी जातियों के कल्याण हेतु राज्य इन्हें परिसीमित कर सकता है।
मूल अधिकारों का निलंबन -
1. संसद विधि द्वारा सशस्त्र बलों, अन्य बलों या संगठनों के व्यक्तियों में कर्तव्यों के पालन एवं अनुशासन हेतु मूल अधिकारों से वंचित कर सकती है।
2. सैन्य विधि लागू क्षेत्रों में इन अधिकारों को निर्बंधित किया जाना।
3. राष्ट्रीय आपातकाल (अनु. 352) की स्थिति में अनु. 358 के तहत अनु. 19 का निलंबन, अथवा अनु. 359 के तहत राष्ट्रपति के आदेश द्वारा मूल अधिकारों (अनु. 20 एवं 21 को छोड़कर) का निलंबन।
4. (केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य वाद, 1973 के अनुसार) संसद की अनुच्छेद 368 के तहत मूल अधिकारों में संशोधन करने की शक्ति (किंतु आधारभूत ढांचे को नष्ट नहीं कर सकती है)।
Comments
Post a Comment