Study Novelty
By : Ambuj Kumar Singh
क्षेत्रीय राज्य (भाग - 2)
★ बंदा बहादुर जम्मू-कश्मीर का रहने वाला था, जिसका बचपन में लक्ष्मण देव नाम था। बाद में इसका नाम माधवदास पड़ गया, और वैराग्य ग्रहण करने के कारण लोगों ने इसे माधवदास बैरागी नाम दे दिया। नांदेड़ में मुलाकात के बाद गुरु गोविंद सिंह ने इसका नाम गुरबख्श सिंह रखा था। वह अपने आप को गुरु का बंदा कहता था, इसलिए आगे चलकर वह बंदा बैरागी के नाम से मशहूर हुआ।
★ 1838 ईस्वी में पंजाब के दौरे पर आए लॉर्ड ऑकलैंड ने रणजीत सिंह की सेना के घुड़सवारों को देखकर कहा था कि 'यह संसार की सबसे सुंदर फौज है', जबकि फ्रांसीसी पर्यटक विक्टर जैकमा ने रणजीत सिंह की तुलना नेपोलियन बोनापार्ट से की है।
★ 1799 ईस्वी में चतुर्थ आंग्ल-मैसूर युद्ध में टीपू सुल्तान की पराजय एवं मृत्यु के बाद लार्ड वेलेजली ने कहा था कि 'पूर्व का साम्राज्य अब हमारे कदमों में है।' मैसूर जीतने की खुशी में आयरलैंड के लार्ड समाज ने वेलेजली को 'मारक्विस' की उपाधि प्रदान की थी।
★ अवध के स्वतंत्र राज्य का संस्थापक निशापुर के सैय्यदों का शिया वंशज सआदत खाँ (बुरहानुलमुल्क) था, जो फैजाबाद को अपनी राजधानी बनाया था। अवध के अंतिम नवाब वाजिद अली शाह के समय लॉर्ड डलहौजी ने आउट्रम की रिपोर्ट के आधार पर कुशासन का आरोप लगाकर 1856 ईस्वी में अवध का अंग्रेजी साम्राज्य में विलय कर लिया था।
★ 1717 ईस्वी में मुगल सम्राट फर्रूखसियर ने मुर्शिद कुली खां को बंगाल का सूबेदार नियुक्त किया था, जिसने व्यवहारिक रूप में वहां स्वतंत्र राज्य की स्थापना की थी। मुर्शिद कुली खां के समय ही 1719 ईस्वी में बंगाल में उड़ीसा राज्य को शामिल कर लिया गया था। 1733 ईस्वी में शुजाउद्दीन के समय बिहार राज्य भी बंगाल के अधीन हो गया था। शुजाउद्दीन बंगाल का पहला शासक था, जिसने नवाब की उपाधि धारण की थी।
★ शिवाजी के एक बड़े भाई संभाजी भी थे, जो शाहजी भोंसले के साथ बंगलौर की जागीर में रहा करते थे। 1654 ईस्वी में संभाजी की मौत पोलीगर में अप्पा खाँ से युद्ध करते हुए हुई थी। इस युद्ध के दौरान संदेश मिलने के बावजूद बीजापुर के सरदार अफजल खाँ ने संभाजी की मदद के लिए सेना नहीं भेजी थी। इसलिए शाहजी भोंसले ने कहा था कि 'अफजल खाँ मनुष्य नहीं विषैला सर्प है।'
★ पुरंदर की संधि (22 जून 1665 ईस्वी) के बाद राजा जयसिंह के कहने पर 12 मई 1666 ईस्वी को शिवाजी औरंगजेब से मिलने आगरा दरबार पहुंचे। किंतु उचित सम्मान न मिलने के कारण वे नाराज हो गए। औरंगजेब ने शिवाजी को आगरा की जयपुर महल में बंदी बना लिया। शिवाजी अपने हमशक्ल सौतेले भाई हिरोजी फर्जंद को अपनी मोतियों की माला और कड़ा पहना कर अपनी जगह लिटा दिये और अपने पुत्र संभाजी के साथ फलों की टोकरियों में बैठकर वहां से भागने में सफल रहे।
★ 6 जून 1674 ईस्वी राजधानी रायगढ़ में शिवाजी का राज्याभिषेक काशी के प्रसिद्ध विद्वान विश्वेश्वर भट्ट, अर्थात गंगा भट्ट द्वारा किया गया था इसी दौरान उन्होंने सोयराबाई से दूसरा विवाह (पहला विवाह 1640 ईस्वी में साईंबाई निंबालकर के साथ) किया, और उन्हें अपनी राजमहिषी घोषित किया। किंतु 17 जून 1674 ईस्वी को इनकी माता जीजाबाई का देहांत होने के कारण शिवाजी ने 24 सितंबर 1674 ईस्वी को निश्चलपुरी गुसाईं नामक तांत्रिक द्वारा तांत्रिक विधि से पुरंदर के दुर्ग में अपना राज्याभिषेक संपन्न कराया।
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