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विश्व मधुमेह जागृति दिवस | World Diabetes Awareness Day

 

STUDY NOVELTY

By: Ambuj Kumar Singh

 विश्व मधुमेह जागृति दिवस | World Diabetes Awareness Day

      

World Diabetes Awareness Day

27/06/2021


 27 जून : विश्व मधुमेह जागृति दिवस


आधुनिक जीवन-शैली की एक बड़ी विडंबना यह है, कि इसने जीवन को आसान बनाने के ढेर सारे उपाय किए हैं । किंतु इन्हीं उपायों के कारण हमारा शरीर भी दिन-प्रतिदिन इस नवीन जीवन-शैली के प्रति अनुकूलित होकर कमजोर होता गया है । इस प्रकार शरीर में विभिन्न व्याधियों का जन्म होता है, जिसमें एक व्याधि का नाम 'मधुमेह' (डायबिटीज) है । इसी मधुमेह के बढ़ते दुष्प्रभाव के प्रति जागरूक करने के लिए 27 जून को विश्व भर में 'मधुमेह जागृति दिवस' के रूप में मनाया जाता है । विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, विश्व में 422 मिलियन लोग मधुमेह से पीड़ित है, और प्रतिवर्ष 1.6 मि. लोगों की इस बीमारी के कारण मृत्यु हो जाती है ।


मधुमेह का अर्थ

मधु का अर्थ है - शहद या मीठा, और मेह का अर्थ है - वर्षा, अर्थात मधुमेह का अर्थ हुआ, मीठी वर्षा यानि मूत्र में मीठा अर्थात शर्करा का आना । मधुमेह (डायबिटीज मेलेटस) चपापचय प्रक्रिया संबंधी रोगों का समूह है । इस चपापचय प्रक्रिया में शरीर भोजन को ऊर्जा में बदलता है, और यह ऊर्जा हमारे शरीर द्वारा किए जाने वाले रोजाना के कार्यों में खर्च होती है । अग्न्याशय से उत्पन्न इंसुलिन नामक हार्मोन कार्बोहाइड्रेट एवं वसा पर नियंत्रण रखता है, और इन्हें जलाकर ऊर्जा में बदलता है । किंतु जब किसी कारण से इस इंसुलिन का उत्पादन बंद हो जाता है, या इसमें कमी आ जाती है, तो ग्लूकोज कोशिकाओं को नहीं मिल पाता है, और यह रक्त में एकत्रित होने लगता है, और मूत्र के साथ बाहर आता है, जिसे हम 'मधुमेह' नामक बीमारी के नाम से जानते हैं ।


मधुमेह आधुनिक जीवन शैली का रोग

औद्योगिक क्रांति के बाद मनुष्य के जीवन में बहुत व्यापक परिवर्तन आया है । इसने तीव्र शहरीकरण को बढ़ावा दिया और इस शहरीकरण ने एक शहरी एवं उपभोक्ता संस्कृति को जन्म दिया है, जिससे मनुष्य के खानपान एवं कार्य-संस्कृति में भी बड़ा बदलाव आया है । इस कार्य-संस्कृति का प्रभाव हमारे जैविक घड़ी पर भी पड़ा है । इसके अलावा शारीरिक श्रमविहीन इस नवीन जीवनशैली ने प्रतिस्पर्धा एवं तनाव के कारण विभिन्न बीमारियों को भी न्योता दिया है, जिनमें से एक 'धीमी मौत' के रूप में जाने वाली बीमारी मधुमेह भी शामिल है ।


मधुमेह के प्रकार

1. टाइप 1 मधुमेह - इसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण अग्न्याशय में इंसुलिन हार्मोन का निर्माण बंद हो जाता है । अतः व्यक्ति को बाहर से ही इंसुलिन पर निर्भर रहना पड़ता है । यह किसी भी उम्र में हो सकता है, किंतु ज्यादातर यह बच्चों एवं युवाओं में दिखाई देता है ।

2. टाइप 2 मधुमेह - इसमें इंसुलिन का निर्माण कम होता है या शरीर द्वारा इसका सही से उपयोग नहीं हो पाता है । यह मधुमेह का सबसे आम प्रकार है, और इसमें व्यक्ति संक्रमित हो करके भी नहीं जान पाता है कि वह इस बीमारी का रोगी है । यह भी किसी उम्र में हो सकता है, किंतु ज्यादातर यह प्रौढ़ एवं वृद्धावस्था में दिखाई देता है ।

3. गर्भकाल मधुमेह - मधुमेह का यह प्रकार गर्भावस्था के दौरान उत्पन्न होता है, और उसके बाद ठीक हो जाता है । किंतु कभी-कभी इसके टाइप 2 मधुमेह में परिवर्तित होने का खतरा भी रहता है ।


मधुमेह के कारण

1. टाइप 1 मधुमेह का कारण प्रतिरक्षा तंत्र द्वारा अग्नाशय में इंसुलिन का निर्माण बंद हो जाना ।

2. अनुवांशिक कारणों से अर्थात अगर परिवार में माता-पिता, दादा-दादी या नाना-नानी में से किसी को भी अगर यह बीमारी हो, तो इसके अगली पीढ़ी में आने की 85% तक संभावना भी मानी जाती है ।

3. असंतुलित आहार के कारण भी मधुमेह की संभावना बढ़ जाती है । अत्यधिक कार्बोहाइड्रेट एवं वसायुक्त भोजन (जंक फूड, कोल्ड ड्रिंक्स, डिब्बाबंद भोजन), बहुत ज्यादा तला-भुना भोजन तथा शराब के सेवन से भी मधुमेह की संभावना बढ़ जाती है ।

4. मनुष्य के जीवन में लंबे समय तक आलस्य एवं श्रम की कमी से भी मधुमेह जैसी बीमारी की संभावना बनी रहती है ।

5. असंतुलित भोजन एवं श्रम की कमी से मोटापा जैसी बीमारी का जन्म होता है, और आगे चलकर यह मधुमेह जैसी भयंकर बीमारी की संभावना को जन्म देता है ।

6. पूर्व के कृषि समाज में व्यक्ति का स्वाभाविक रूप से व्यायाम हो जाया करता था । किंतु आधुनिक जीवन शैली में व्यायाम या तो फैशन और देह-प्रदर्शन का हिस्सा रह गया है, और या फिर इसे वृद्धों एवं अस्वस्थों का कार्य मानकर छोड़ दिया गया है, जो पुन: मधुमेह का कारण बन जाता है ।

7. आधुनिक  कार्य-संस्कृति में प्रतिस्पर्धा की स्थिति बढ़ गई है, जिसने तनाव एवं अवसाद को जन्म दिया है । इसके अलावा मनुष्य अपने कार्य एवं पद  से भी खुश नहीं है । समाज में बेरोजगारी की स्थिति भी बहुत ज्यादा है । इसके अलावा परिवारिक समस्याओं की वजह से उपजे तनाव के कारण भी मधुमेह जैसी समस्या धीरे-धीरे जन्म ले लेती है ।

8. बढ़ती उम्र से व्यक्ति की कार्य-क्षमता घट जाती है, तथा कार्य करने की इच्छा में भी कमी आती है । इसलिए 40 वर्ष के बाद बहुत लोगों में इस बीमारी के लक्षण दिखाई देने लगते हैं ।

9. आधुनिक जीवन-शैली ने हमें कई सुख-सुविधाएं उपलब्ध कराईं हैं, जिसने हमारे स्वस्थ जीवन को काफी प्रभावित किया है । इसमें रेफ्रिजरेटर,वाशिंग मशीन आदि के अलावा, टीवी और मोबाइल, विशेषकर, स्मार्टफोन के कारण व्यक्ति दिनभर बिस्तर पर पड़े, समय व्यतीत करके अपना शरीर नष्ट करने में लगा हुआ है ।

10. इसके अलावा रक्तचाप एवं डिस्लिपिडोमिया जैसी बीमारियां भी इसे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है ।


मधुमेह के लक्षण

- बार-बार पेशाब आना ।

- प्यास का बढ़ जाना ।

- ज्यादा भूख लगना ।

- वजन में कमी ।

- थकान एवं कमजोरी ।

- चक्कर आना ।

- घाव देर से भरना ।

- मूत्र में गंध ।

- मूत्र में चीटियों का लगना ।

- पैरों में झनझनाहट ।


मधुमेह का स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव

1. नेत्र-संबंधी रोग, अर्थात धुंधला दिखाई देना या मोतियाबिंद जैसे रोग होना ।

2. हृदय-संबंधी रोग जैसे उच्च रक्तचाप या हृदयाघात होना ।

3. गुर्दे का खराब होना ।

4. स्मरण शक्ति में कमी आना ।

5. नपुंसकता ।

6. गैंगरीन ।

7. लकवा ।


मधुमेह का इलाज

टाइप 1 मधुमेह का इलाज यहीं तक संभव है, कि इसमें व्यक्ति को जीवन भर बाह्य रूप से इंसुलिन लेना पड़ता है । किंतु टाइप 2 मधुमेह तथा गर्भकाल मधुमेह में चिकित्सक द्वारा निर्धारित दवाओं के सेवन के अलावा हम स्वस्थ जीवन-शैली एवं खानपान के द्वारा भी इस पर नियंत्रण स्थापित कर सकते हैं -

1. टाइप 2 मधुमेह पर नियंत्रण के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है - अपनी दिनचर्या को नियमित करना, अर्थात सोने-जागने तथा खाने-पीने के समय को निश्चित करना, अन्यथा यह शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डालती है ।

2. प्रात:काल उठकर नित्य क्रियाओं के बाद 7 बजे से पूर्व योग एवं व्यायाम करके टाइप 2 मधुमेह पर काफी हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है । इसमें हम टहलने के अलावा एरोबिक्स जैसे हल्के-फुल्के व्यायाम भी कर सकते हैं, तथा अग्न्याशय पर सकारात्मक प्रभाव डालने वाले योगासन (जैसे सूर्यनमस्कार, मयूरासन, धनुरासन, कपालभाति एवं अनुलोम-विलोम) तथा ध्यान के माध्यम से भी इस पर नियंत्रण स्थापित कर सकते हैं ।

3. टाइप 2 मधुमेह में आहार पर नियंत्रण बेहद जरूरी है । इसमें मरीज को भोजन को 3 के बजाय 6 हिस्सों में बांट कर लेना चाहिए । सुबह का नाश्ता योग एवं व्यायाम के बाद 9 बजे से पूर्व अवश्य ले लेना चाहिए । व्यक्ति को भोजन में इच्छा के बजाय आवश्यकता पर ध्यान देना चाहिए । भोजन में करेला, जामुन, मेथी इत्यादि को शामिल करना चाहिए, तथा चावल एवं आलू की मात्रा को कम कर देना चाहिए ।

4. बाहर के तले-भुने एवं कार्बोहाइड्रेट से भरपूर जंक फूड (पिज्जा बर्गर कोल्ड ड्रिंक्स वगैरह) का पूर्णतया निषेध इस बीमारी को नियंत्रण में रखने के लिए बेहद जरूरी है ।

5. व्यक्ति को रात्रि में 6 से 8 घंटे की पूरी नींद लेना बेहद जरूरी है । इस बीमारी में हमें देर से सोने एवं देर से उठने की आदत से बचना चाहिए ।

7. इस बीमारी में नशे से बच कर रहना बेहद जरूरी है, क्योंकि वह उद्दीपक का काम करने के साथ ही अन्य अंगों को भी दुष्प्रभावित करता है ।

8. इसमें व्यक्ति को मोटापे पर नियंत्रण रखना बहुत जरूरी होता है । इसके लिए 'बॉडी मास इंडेक्स' (लंबाई के अनुपात में भार) 18.5 से 24.9 के बीच होना चाहिए । ऐसा श्रम-युक्त एवं आहार-नियंत्रित जीवन-शैली से ही संभव है ।

9. हमें अपनी कार्यशैली के अनुरूप स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना होगा । अगर हमारी कार्य-शैली श्रमविहीन है, तो भी हमें थोड़े-थोड़े समय पर टहल करके शरीर को हरकत में लाकर इसे नियंत्रण में रखना होगा ।

10. बहुत सारी बीमारियों का कारण मानसिक तनाव होता है, जिसमें मधुमेह भी एक बीमारी है । चिंता किसी भी समस्या का समाधान नहीं है । अतः हमें समाधान के लिए चिंतन करने की आवश्यकता है, और उसी के अनुरूप रणनीति बना कर उस पर कार्य करते हुए तनाव एवं समस्या पर विजय पाना है ।


उपसंहार 

विकास वर्तमान की आवश्यकता है, किंतु यह हमारे स्वास्थ्य की कीमत पर नहीं होना चाहिए । स्वस्थ शरीर से ही व्यक्ति अपने जीवन के उद्देश्यों को पूरा करने में सक्षम होता है । अतः हमें आधुनिक जीवन-शैली की विद्रूपताओं को छोड़कर एक नई स्वस्थ जीवन-शैली अपनाना होगा । यूरोप इसका उदाहरण है, जो उपभोक्तावादी जीवन से तंग आकर योग एवं ध्यान के रूप में इसके समाधान हेतु भारत की ओर देख रहा है ।


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